Tuesday, 28 April 2015

54.)Farmer ,who earn 10 to 15 million in each year.

रायसेन. प्राकृतिक आपदा की लगातार चपेट में आ रही गेहूं-चने जैसी पारंपरिक फसलों के बजाए किसान अब वैकल्पिक फसलों पर ध्यान दे रहे हैं। उनके यह प्रयास अब रंग दिखाने लगे हैं। बाड़ी तहसील के करीब 20 गांवों के सैकडों किसान लाखों रुपए के टमाटर की बंपर पैदावार कर दूसरे किसानों को नई राह दिखाई है। 
यही नहीं जबर्दस्त मार्केटिंग की वजह से मप्र सहित दिल्ली, यूपी, महाराष्ट्र और हरियाणा के व्यापारी सीधे उनके खेतों से ही टमाटर खरीद रहे हैं। रोजाना यहां से करीब 7 लाख रुपए का 10-12 ट्रक टमाटर बाहर भेजा जा रहा है। धीरे-धीरे यह क्षेत्र टमाटर मंडी के रूप में मशहूर हो रहा है। यहां के किसान हर सीजन में 10 से 15 लाख रुपए तक मुनाफा कमा रहे हैं।  
जिले के किसान भगवत सिंह ठाकुर ने 15 साल पहले तीन एकड़ में टमाटर लगाने की शुरुआत की। जब अच्छी पैदावार मिली तो आसपास के किसानों की दिलचस्पी बढ़ी। सरकारी योजना पर किसानों ने इजरायल और हाॅलैंड जाकर टमाटर की उन्नत खेती की तकनीक समझी। इसके बाद सब कुछ बदल गया। अब काछीपुर, केवलाझार, समनापुर, भैंसाया, नानपोन, दिघवाड़ा, चंदवार जैसे 20 गांवों के 4 हजार एकड़ जमीन पर टमाटर की पैदावार हो रही है।
अन्य प्रदेशों में मार्केटिंग होने से बाहर के व्यापारी गांव आकर ही माल खरीद रहे हैं। इससे किसानों का मालभाड़ा बचा, मुनाफा बढ़ा और परेशानी भी काफी कम हो गई। व्यापारियों की मांग पर यहां के किसान टमाटर की खास किस्में भी लगा रहे हैं। कृषि विभाग के उप संचालक जेपी गुप्ता कहते हैं किसानों के प्रयासों से बाड़ी क्षेत्र टमाटर की मंडी बन गया है।  
जनवरी से मई तक लगातार टमाटर की पैदावार मिलती है। सामान्य स्थिति में एक एकड़ में करीब 300 से 500 क्विंटल तक टमाटर निकलता है। यह औसतन 5 से 30 रुपए किलो तक बिकता जाता है। यानी एक बार में प्रति एकड़ करीब 15 हजार रुपए की पैदावार होती है।

53.) Ambassador is coming to next level..new with bold look.

Hindustan Motors ,the vintage ambassador car new launch.


      Hindustan Motors will soon launch new commercial vehicles and has kick-started its publicity campaign by conducting a road show from its plant in Uttarpara in West Bengal. The company also wants to publicise its current and forthcoming models.

      The road show will showcase the classic ambassador and the HM Winner commercial vehicle. Hindustan Motors' road show will travel through West Bengal, Orissa, Assam and Bihar for 15 days. Hindustan Motors also plans to conduct the road show in North India, South India as well as in Central India.. Hindustan Motors managing director Manoj Jha in the company's media statement said: “Hindustan Motors has opted for a multi-pronged strategy which will witness consolidation and expansion of existing products like Ambassador and Winner and almost simultaneous introduction of new vehicles in the current quarter. We intend to grow our bouquet of offerings. The focus on auto components is being sharpened further. The vehicle armouring unit is being rejuvenated. Research and design has been imparted a new fillip. We need to deal both with the present and the future." There have been rumours that Hindustan Motors is planning to revive its Ambassador car by launching a new version that is slightly smaller than the original Classic. This new car will be built on the Ambassador's platform and the frontal design is expected to be the same as the current model. The rear design will get a re-look and will be slightly smaller. There have been several sightings of the smaller ambassador which is still under development. The Commercial vehicle that Hindustan Motors will launch later might also carry the same design features of the Ambassador. There have been unconfirmed reports that Hindustan Motors is building a single cad pick-upon the Ambassador's platform.

Saturday, 25 April 2015

52).Out Of Stock .....


दुनिया के सबसे महंगे मैटेरियल की कीमत सुनकर आप दंग रह जाएंगे। शायद कुछ लोगों ने तो इसका नाम भी न सुना हो। दुनिया का सबसे महंगी कमोडिटी एंटीमैटर है। एंटीमैटर के एक ग्राम की कीमत 6.25 लाख करोड़ डॉलर है, यानि भारतीय रुपए में इसकी वैल्यु 393.75 लाख करोड़ रुपए है।
क्या है खासियत
1 ग्राम एंटीमैटर को बेचकर विश्व के कई 100 छोटे देशों को खरीदे जा सकते हैं। 1 ग्राम एंटीमैटर की कीमत 393.75 लाख करोड़ रुपए है। नासा के मुताबिक, एंटीमैटर धरती का सबसे महंगा मैटेरियल है। एंटीमैटर जहां बनता है, वहां पर विश्व की सबसे बेहतरीन सुरक्षा व्यवस्था मौजूद है। इतना ही नहीं नासा जैसे संस्थानों में भी इसे रखने के लिए एक पुख्ता सुरक्षा घेरा है। कुछ खास लोगों के अलावा एंटीमैटर तक कोई भी नहीं पहुंच सकता है। दिलचस्प है कि एंटीमैटर का इस्तेमाल अंतरिक्ष में दूसरे ग्रहों पर जाने वाले विमानों में ईधन की तरह किया जा सकता है।
1. एंटीमैटर
एंटीमैटर को इसलिए सबसे महंगा माना जाता है, क्योंकि इसको बनाने वाली टेक्नोलॉजी विश्व में सबसे ज्यादा एक्पेंसिव है। 1 मिलिग्राम एंटीमैटर बनाने में 250 लाख रुपए तक लग जाते हैं। इसका इस्तेमाल अस्पतालों और रेडियोधर्मी अणुओं को पॉजिट्रान एमिशन टोमोग्राफी के रूप में मेडिकल इमेजिंग में होता है। इसका इस्तेमाल परमाणु हथियारों में भी किया जाता है।



2. कैलिफोरियम(Californium)
इसकी खोज 1950 में अमेरिका के कैलिफोर्निया में हुई थी। इसकी कीमत करीब 170.91 करोड़ रुपए प्रति ग्राम है। कैलिफोरियम न्यूट्रॉन का एक अच्छा स्त्रोत है, जिसका इस्तेमाल न्यूक्लियर रिएक्टर में किया जाता है। ये एक टार्गेट मटेरियल भी है, जो की ट्रांसकैलिफोरियम धातु के उत्पादन में इस्तेमाल होता है। कैलिफोरियम-252 का इस्तेमाल सरवाईकल कैंसर के इलाज में भी होता है।

3. हीरा(Diamond)

हीरा पृथ्वी का एक दुर्लभ रत्न है। इसका मुख्यतः इस्तेमाल आभूषणों में किया जाता है। एक आंकलन के अनुसार कुछ हीरे 3.2 अरब साल पुराने हैं। इसकी कीमत 34.81 लाख रुपए प्रति ग्राम है। हमेशा हीरे की पहचान गहनों से होती है। यह रत्न अपनी चमक और खूबसूरत डिजाइन के लिए लोकप्रिय है। वहीं, कई लोग इससे एक आर्थिक शक्ति रुप में देखते है।




4. ट्रिटियम(Tritium)

ट्रिटियम विश्व की चौथी सबसे महंगी कमोडिटी में है। एक ग्राम ट्रिटियम की कीमत 18.9 लाख रुपए है। इसका इस्तेमाल मुख्यतः महंगी घड़ियों के निर्माण, दवा और रेडियो थेरपी में किया जाता है। वैज्ञानिक कहते है कि कॉस्मिक रेडिशन, संयुक्त ड्यूटेरियम या नाइट्रोजन परमाणु से मिलता है तो दो अतिरिक्त नूट्रोंस और हाइड्रोजन न्यूक्लियस के उत्पादन के साथ ट्रिटियम का निर्माण होता है।

5. टैफिट स्टोन(Taaffeite Stone)
टैफिट स्टोन की पहचान एक रत्न के रूप में की गई है। यह दुर्लभ रत्न लाल और बैंगनी रंग का होता है। इस अविश्वसनीय पत्थर की कीमत 12.6 लाख रुपए प्रति ग्राम है। ये हीरे के मुकाबले काफी मुलायम होता है। इसीलिए इसका इस्तेमाल सिर्फ एक रत्न के रूप में किया जाता है।






6. पायनाइट
पायनाइट की खोज म्यांमार में 1950 में हुई थी। यह एक दुर्लभ कमोडिटी है जो की लाल, गुलाबी और भूरे रंग का होता है। पायनाइट दुनिया में सबसे कम मिलने वाली कमोडिटी है। इसकी कीमत 5.9 लाख रुपए प्रति ग्राम है। इसका इस्तेमाल सिर्फ गहनों में ही किया जाता है।



7. प्लूथोनियम

प्लूथोनियम का इस्तेमाल परमाणु ऊर्जा सयन्त्रों और अंतरिक्ष यानों में किया जाता है। प्राकृतिक प्रतिक्रियाओं के माध्यम से इस तत्व का अस्तित्व में आना मुश्किल है। प्लूथोनियम को यूरेनियम से अलग करके निकाला जाता है। इसकी कीमत 2.5 लाख रुपए प्रति ग्राम है।

51) Rupees.....

The British Empire

In the 19th century, the British introduced paper money into the subcontinent. The Paper Currency Act of 1861 gave the Government the monopoly of note issue throughout the vast expanse of British India, which was a considerable task. Eventually, the management of paper currency was entrusted to the Mint Masters, the Accountant Generals and the Controller of Currency.
A series carrying the portrait of George V were introduced in 1923, and was continued as an integral feature of all paper money issues of British India. These notes were issued in denominations of Rs 1, 2½, 5, 10, 50, 100, 1,000, 10,000.
paper currency
The Reserve Bank of India was formally inaugurated on Monday, April 1, 1935, with its Central Office in Calcutta. Section 22 of the RBI Act, 1934, empowered it to continue issuing Government of India notes until its own notes were ready for issue. The bank issued the first five rupee note bearing the portrait of George VI in 1938. This was followed by Rs. 10 in February, Rs 100 in March and Rs 1,000 and Rs 10,000 in June 1938. The first Reserve Bank issues were signed by the second Governor, Sir James Taylor.
ten ruppees
In August 1940, the one-rupee note was reintroduced as a wartime measure, as a government note with the status of a rupee coin. During the war, the Japanese produced high-quality forgeries of the Indian currency. This necessitated a change in the watermark. The profile portrait of George VI was changed to his full frontal portrait. The security thread was introduced for the first time in India. The George VI series continued till 1947, and thereafter was a frozen series till 1950, when post-independence notes were issued.
one ruppee
worldcurrencyandcoins.blogspot
five ruppee
worldcurrencyandcoins.blogspot
ruppee
Portuguese India
The territory of Goa in western India was seized in 1510. The Portuguese enjoyed a monopoly of trade with India for more than a century till the arrival of the Dutch and the English. They, however, retained the territories of Goa, Daman and Diu till 1961. The first Indo-Portuguese issues of paper currency were the 'Rupia' denominated notes put into circulation around 1883.
portuguese ruppee
These notes incorporated the portrait of the King of Portugal. These were issued in denominations of 5,10,20,50,100 and 500. In 1906, 'Banco Nacional Ultramarino' was entrusted with the responsibility of issue of paper money in India for the Portuguese held territories. The early notes issued by the bank carried the seal of the bank. Most issues carried the Commerce and Sailing Ships motifs common to many colonial issues. Indian symbols and motifs (architectural and exotic fauna) were adopted on some notes.
portuguese indian ruppee
French India
The French colonies included Mahe (Kerala), Karaikal, Pondicherry (Tamil Nadu), Yanam (Andhra Pradesh) and Chandernagore (West Bengal). They were called "Etablissements Francaises dans L'inde", i.e. French establishments in India. The issue of paper money for the French settlements was entrusted to the Bank of Indochine.
french indian ruppee
Notes of 1 Roupie were issued after World War I. Notes of 5 Roupies were introduced in 1937. The new design of 50 Roupies issued simultaneously shows Mousieur Dupleix, the founder of the French Empire in India.
french indian ruppee
The Hyderabadi Rupee
Hyderabad was the only state which had a paper currency since 1916, and was widely circulated till 1952. The notes were printed till 1939 and dated in "Fasli" years, an era which was current in the Deccan, associated closely with the Hijri era. The notes were printed entirely in Urdu and other languages which were current in the state, like Kannada, Telugu and Marathi. 
ruppee

hyderabadi ruppee
indiamike.com

The Japanese Invasion

Burma (Myanmar) was using the Indian rupee under British rule until the Japanese invaded the country. The puppet Burmese government started using Indian rupee notes that were issued by the Imperial Government of Japan. Denominations of 1/4, 1/2, 1, 5 and 10 rupees were minted.
japanese indian rupee
wikipedia
japanese indian rupee

50) 1st Female Person ......

1st Female  INDIAN  Give WISDEN  Honour



Mithali Raj, the captain of the India Women’s cricket team, was honoured to be recognised as one of the sixWisden India Cricketers of the Year for 2015. She is the first female cricketer to win the award, and is part of a list consisting of Ajinkya Rahane, Rishi Dhawan, Angelo Mathews, Umar Akmal and Mominul Haque.
The Wisden Cricketers of the Year awards represent a tradition that dates back to 1889, making this the oldest individual award in cricket. The selection of the awardees is by whim of being editor. Excellence in the previous English summer is the major criterion for inclusion, the other being that no one can be chosen more than once.

Difficult because we don’t play regularly: Raj
Raj told Wisden India on the occasion, “It’s a nice gesture and being a first-timer means that you have done something and reached somewhere that nobody has done before. It makes one feel very happy for working so hard for all these years.”
Raj was in charge of the Indian team that won a famous four-wicket victory in Wormsley over the English team in August 2014, in what was India’s first four-day assignment in eight years. The home team won the subsequent ODI series, but Raj went on in the series to become the second-highest run-getter in the history of ODI cricket, behind only Charlotte Edwards.
“I had a very young and raw side with a whole lot of debutants. It was a huge challenge as a captain,” she said.
“It added a lot of responsibility, knowing that you don’t have many supporting players for the Test and the team is looking up to you. I was myself playing after eight long years. Initially it was tough to prepare for the longer format after such a gap, as we don’t play on a regular basis.”
On the back cover of the Wisden Almanack having a photo of her winning Test team, the 32-year-old captain said, “It’s nice to get featured. With so much being written about men’s cricket in the World Cup year, to find something being mentioned about women’s cricket feels very good.
“The girls put in as much effort as the men cricketers do. At some level, every woman cricketer wants to be recognised for their efforts.”  

Excellent Photo (Ya Photos ?)


Friday, 24 April 2015

49).Thinking About 2....

એક માણસ નો પાળેલો કૂતરો બીમાર પડ્યો....
ડૉક્ટર આવ્યા.... 
દવા આપી... 
દવા પીવડાવવા ના અલગ અલગ ઘણાં પ્રકારના પ્રયત્નો કર્યા, 
બળજબરી કરી પણ એ કૂતરા એ દવા ના જ પીધી.. 
છેલ્લે કૂતરાને ઘર ના ત્રણ સભ્યો એ પકડ્યો અને ચોથા એ દવા પીવડાવવા નો પ્રયત્ન કર્યો,
કૂતરો પકડ માંથી છૂટી ગયો અને ઝપાઝપી માં દવા ની બોટલ ફૂટી ગઇ..
થોડી વાર પછી કૂતરો એ ઢોળાયેલી દવા ચાટવા લાગ્યો.

કૂતરા ને દવા પીવી નહતી એવું ન હતું.... 
એને ફક્ત પધ્ધતિ થી વાંધો હતો... 
એને જો એને જે પધ્ધતિ પસંદ છે.. 
એને માટે જે સરળ છે એ પ્રમાણે જો કરવામાં આવ્યું હોત તો આસાનીથી દવા પી જાત...
પોતાનું બાળક ભણવામાં થોડું કાચુ હોય.... 
એ ભણવાની ના પાડે... 
એને ભણવામાં રસ ના પડતો હોય ત્યારે આ વાર્તા અવશ્ય યાદ કરવી...
બદલવાનું બાળકને નહીં પણ માબાપ અને શિક્ષકો એ છે.

Thursday, 23 April 2015

48)हिटलर ने......

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान तानाशाह एडोल्फ हिटलर समर्थित नाजी कैंप में तीन लाख यहूदियों की नृशंस हत्या में सहयोग देने के आरोप में जर्मनी के ऑशविच में किताब बेचने वाले 93 वर्षीय ऑस्कर ग्रोएनिंग के खिलाफ मंगलवार को मुकदमा शुरू किया गया। वैसे तब क्या थी यहूदियों की हालत। किस तरह नाजी उन्हें यातना देते थे। आइए एक बार फिर उस पर नजर डालते हैं।
1933 में जर्मनी की सत्ता पर काबिज होने के बाद हिटलर ने एक नस्लवादी साम्राज्य की स्थापना की थी। उसके साम्राज्य में यहूदियों को सब-ह्यूमन करार दिया गया और उन्हें इंसानी नस्ल का हिस्सा नहीं माना गया। यहूदियों के प्रति हिटलर की इस नफरत का नतीजा नरसंहार के रूप में सामने आया। मतलब, समूचे यहूदियों को जड़ से खत्म करने की सोची-समझी और योजनाबद्ध कोशिश।
होलोकास्ट इतिहास का वो नरसंहार था, जिसमें छह साल में तकरीबन 60 लाख यहूदियों की हत्या की दी गई थी। इनमें 15 लाख तो सिर्फ बच्चे थे। इस दौरान कई यहूदी देश छोड़कर भाग गए, तो कुछ कॉन्सन्ट्रेशन कैंप में क्रूरता के चलते तिल-तिल मरे। इस दौरान ऑशविच नाजी यंत्रणा कैंप यहूदियों का खात्मा करने की नाजियों की हत्यारी रणनीति का प्रतीक बन गया था।
पोलैंड में मौजूद इस यातना शिविर में धर्म, नस्ल, विचारधारा या शारीरिक कमजोरी के नाम पर यहूदियों को नाजियों के गैस चैंबर में भेज दिया जाता था। यहां यहूदियों, राजनीतिक विरोधियों, बीमारों और समलैंगिकों से जबरन काम लिया जाता था। यह कैंप ऐसी जगह था और इस तरह बनाया गया था कि वहां से कोई भाग न सके।










47) Runner Of INDIA

1 Anil Kumar Prakash (10.30 Seconds)

2 Abdul Najeeb Qureshi (10.30s) [    +0.2 milli seconds]

3 Merlin K Joseph (11.35 seconds)

4 Rachita Mistry (11.38 seconds)

5 Rajeev Balakrishnan (10.32 seconds)

>NOTICE

My  Friends , New Series Is Coming Soon On Blog .....................

46). Yes, I'm Hungry (SAD) .....

ग्लोबल हंगर इंडेक्स में इंडिया ने अपनी रैंकिंग में सुधार किया है। यह 63वीं पोजीशन से अब 53वें पायदान पर आ गया है। हालांकि भूख के खिलाफ जंग एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। बच्चों में कुपोषण और उनकी मृत्यु दर का लेवल चिंताजनक रूप से ऊंचा बना हुआ है। हंसा वेंकटेश्वरन डाल रही हैं आंकड़ों पर रोशनी... 
कुछ प्रमुख तथ्य...

आबादी के छठे हिस्से को पर्याप्त पोषक पदार्थ नहीं मिल पाते। 

19 करोड़ लोग भारत में रोज भूखे पेट रहने को मजबूर हैं। 

30.7% बच्चे (5 साल से कम उम्र के) भारत में अंडरवेट हैं। 

58% बच्चों की ग्रोथ इंडिया में 2 साल से कम उम्र में रुक जाती है। 

4 में से हर एक बच्चा भारत में कुपोषण का शिकार है। 

3,000 बच्चे इंडिया में कुपोषण से पैदा होने वाली बीमारियों के कारण रोज मरते हैं 

24% दुनियाभर में 5 साल से कम उम्र में मरने वाले बच्चों में भारत का हिस्सा। 

30% नवजात शिशुओं की मौत भारत में होती है। 

भारत में भूख, कुपोषण की वजह

40% फल-सब्जियां और 20% अनाज खराब सप्लाई चेन के कारण बर्बाद हो जाता है और कंज्यूमर्स तक नहीं पहुंच पाता। बीपीएल परिवार खाने-पीने पर 70% रकम खर्च करते हैं। 

एपीएल परिवारों की ओर से खाने-पीने पर खर्च होने वाली रकम 50% है। 

शहरी वर्किंग क्लास 30% खाने-पीने पर खर्च करता है। 

जीडीपी में खेती-बाड़ी का योगदान 2013 में 13.7% है। 

भारत में कृषि क्षेत्र में 50% फीसदी लोग कार्यरत हैं। 

वैश्विक आंकड़े

दुनिया के बेहद गरीब लोगों 64% हिस्सा सिर्फ 5 देशों में रहता है। 

20,000 बच्चे दुनियाभर में भूख के कारण रोज मरते हैं। 

80% लोग 10 डॉलर प्रतिदिन से कम पर गुजर-बसर करते हैं। 

दुनिया में हर नौ में से एक आदमी रोज भूखे पेट सोने को मजबूर। 

दुनिया के टॉप 85 अमीर लोगों की कुल संपत्ति 3.5 अरब सबसे गरीब लोगों यानी दुनिया की आधी आबादी की संपत्ति के बराबर। 

80.5 करोड़ लोगों को दुनिया में भरपेट खाने को नहीं मिलता। 

हर साल एड्स, मलेरिया और टीबी से कुल जितने लोग मरते हैं, उससे ज्यादा लोगों को भूख निगल जाती है। 

79.1 करोड़ ऐसे लोग विकासशील देशों में हैं, जिन्हें भरपेट खाना नहीं मिलता। 

13.5% विकासशील देशों की आबादी का वह हिस्सा है, जो कुपोषण का शिकार है। 

52.6 करोड़ लोग एशिया में आधा पेट खाने को मजबूर। 

45% दुनिया में 5 साल से कम उम्र के बच्चों का हिस्सा है, जिसकी कुपोषण से मौत होती है। 

20% पांच साल से पहले अंडरवेट बच्चों की मौत के मामले।

Tuesday, 21 April 2015

45). Happy Birthday BHAVNAGAR, GUJRAT

>Today is 293rd BIRTHDAY of city BHAVNAGAR in state of Gujrat  INDIA .
>Bhavnagar was created on very auspicious day to AKHATRIJ  on 7th MAY by his highness        
  BHAVSINHJI first in 1723A.D.
>that was VIKRAM SAUVANT  1779
>I AM PROUD TO BE A INDIAN (AFTER THAT BHAVNAGRI...)
> It have Biggest SHIP BREAKING YARD in ASIA



44).INDIAN ARMY

हर दिन आतंकवाद और नक्सलवाद के बढ़ते खतरे के मद्देनज़र देश

की सुरक्षा के लिए हाई-टेक और ट्रेन्ड फोर्सेज की जरुरत है। ऐसे 

में आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के अलावा भी भारत के पास ऐसी कई

स्पेशल फोर्स हैं जिन्हें अलग-अलग परिस्थितियों के आधार पर 

स्पेशल ट्रेनिंग देकर तैयार किया गया है। एक नज़र  भारत की उन

8 स्पेशल फोर्स पर जो दुनियाभर में मशहूर हैं-


1)मरीन कमांडोज़ (मारकोस- यह है भारत की सबसे घातक  स्पेशलफोर्स। 

वैसे तो इन्हें किसी भी क्षेत्र या इलाके में युद्ध की ट्रेनिंग दी 

जाती है लेकिन यह कमांडोज़ समुद्री संघर्ष के एक्सपर्ट हैं। इस 

फोर्स का हिस्सा बनने के लिए कमांडोज़ को इतने भयंकर टेस्ट से 

गुजरता पड़ता है कि 80 फीसदी ऐप्लिकेंट सेलेक्शन के पहले ही 

राउंड में बाहर हो जाते हैं।


2)पैरा कमांडोज़- मारकोस के बाद नंबर आता है पैरा कमांडोज़ का 

जो भारतीय सेना की सबसे ज्यादा प्रशिक्षित स्पेशल फोर्स मानी 

जाती है। सेना के सिर्फ उन्हीं जवानों को इस स्पेशल फोर्स का 

हिस्सा बनने का मौका मिलता है जो शारीरिक और मानसिक रूप 

से पूरी तरह स्वस्थ और बलवान होने के साथ ही बेहद समझदार 

और प्रेरित हों।


3).गरुड़ कमांडो फोर्स- यह भारतीय वायु सेना की टुकड़ी है जिसमें 

करीब 2 हजार कमांडो होते हैं। अत्याधुनिक हथियारों से लैस इस

 फोर्स को हवाई क्षेत्र में हमला करने, दुश्मन की टोह लेने, हवाई 

आक्रमण करने, स्पेशल कॉम्बैट और रेस्क्यू ऑपरेशन्स के लिए 

खास तौर पर तैयार किया जाता है।


4)एनएसजी या ब्लैक कैट- भारतीय सेना और सीआरपीएफ, इन 

दोनों की टुकड़ियों से मिलाकर बनायी गई है यह स्पेशल फोर्स 

जिसे नेशनल सिक्यॉरिटी गार्ड यानी एनएसजी या ब्लैक कैट कहते 

हैं। इस फोर्स के पास दुनिया के सबसे बेहतरीन और विकसित 

हथियार होते हैं।


5)कोबरा फोर्स- घने जंगलों और आंतरिक इलाकों में छिपे 

नक्सलियों से लोहा लेने के लिए बनायी गई है यह स्पेशल फोर्स 

जिसका नाम है कोबरा। यह फोर्स सीआरपीएफ का हिस्सा है 

जिन्हें छलावरण, जंगल वॉरफेयर और घात लगाकर हमला करने में

महारत हासिल है।


6)स्पेशल फ्रंटीयर फोर्स- यह पैरामिलिट्री फोर्स की स्पेशल यूनिट है

जिसे बंधकों को रिहा करने, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने, गैर-

परंपरागत युद्ध लड़ने और गुप्त ऑपरेशन्स की स्पेशल ट्रेनिंग दी 

जाती है। यह फोर्स गुरिल्ला युद्ध कौशल में भी माहिर होती है।



7)फोर्स वन मुंबई में हुए 26/11 हमलों के बाद महाराष्ट्र सरकार ने 

बेस्ट कमांडोज़ का चुनाव कर देश में एक नई फोर्स तैयार की 

जिसे नाम दिया गया फोर्स वन। यह दुनिया की सबसे तेज 

रिस्पॉन्स टीम्स में से एक है जो महज 15 मिनट के अंदर किसी 

भी ऑपरेशन के लिए तैयार हो सकती है।