Sunday 23 August 2015

83)Ramayan

कबाड़ से मिली उर्दू में रामायण।पीएम नरेंद्र मोदी की आस्था से सभी परिचित हैं। उन्हें रामायण से खास लगाव है। 105 साल पुरानी लाहौर में छपी उर्दू रामायण को देखकर मोदी बहुत प्रभावित हुए थे। 650 पृष्ठों की मानस पांडुलिपी 1910 में लाहौर में प्रकाशित हुई थी। संकट मोचन मंदिर के महंत परिवार को ये रामायण दिल्ली के गुदड़ी बाजार में एक कबाड़ की दुकान में साल 2012 में 600 रुपए में मिली थी। संकट मोचन मंदिर और अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास के प्रमुख महंत और बीएचयू के प्रो. विशंभर नाथ मिश्रा ने बताया कि दिसंबर 2013 में जब नरेंद्र मोदी काशी आए थे तो उन्होंने ये दुर्लभ रामायण उन्हें दिखाई थी। राम विवाह, केवट प्रसंग, चिटकूट निवास और राज्याभिषेक की चित्रों को देखकर नरेंद्र मोदी ने कहा था,'अद्भुत धन्य हुआ देखकर, मानो साक्षात दर्शन हो गए।'
कबाड़ की दुकान में मिली थी रामायण 
प्रो. विशंभर नाथ मिश्रा ने बताया कि तुलसी घाट पर तुलसी दास जी के शिष्य द्वारा 18वीं शताब्दी में हस्तलिखित पांडुलिपी 22 दिसंबर 2011 को हनुमान मंदिर से चोरी हो गई थी। तब महंत परिवार के लोग पांडुलिपियों का पता लगाने देश के कोने-कोने तक पहुंच गए। इस दौरान वो दिल्ली के गुदड़ी बाजार में एक कबाड़ की दुकान में पांडुलिपी का लगाने पहुंचे। यहां उन्हें लाहौर से प्रकाशित 1910 की दुर्लभ रामचरितमानस मिली। उन्होंने इसे 600 रुपए में खरीद लिया। बाद में पुलिस ने चोरों को गिरफ्तार कर पांडुलिपी बरामद कर ली थी।
शिष्यों द्वारा लिखी पांडुलिपी सुरक्षित 
1704 वाली रामचरितमानस की पांडुलिपि की ऑरिजनल प्रतियां आज भी बुलेट प्रूफ आलमारी में बंद है। 1910 में लाहौर से प्रकाशित उर्दू रामायण की ओरिजनल प्रतियां भी वॉटर प्रूफ अलमारी में है। लगभग 400 साल पुरानी राम जन्म से विवाह और उसके बाद के दुर्लभ चित्रों का संग्रह भी धरोहर के रूप में मौजूद है।

ये रामायण लाहौर में हुई थी 105 साल पहले प्रकाशित।भदोही शिवव्रत लाल ने लिखी थी उर्दू में रामायण
पांडुलिपियों के जानकार उदय शंकर दुबे ने बताया कि लाहौर में प्रकाशित रामायण की पांडुलिपि को भदोही गोपीगंज कानूनगोपुर के शिवव्रत लाल ने लिखा था। बाद में वो राधा स्वामी संप्रदाय के संत हो गए। पहली बार उन्होंने बाल्मीकि रामायण का उर्दू में अनुवाद 650 पन्नों में किया। दस पन्नों की प्रस्तावना अत्यंत खूबसूरत है। रामकथा के जो चार चित्र अंदर बनाए गए वो बेजोड़ पेंटिंग है। राम विवाह और राज्याभिषेक की तस्वीर में ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों स्वर्ग लोक से देख रहे हैं।
इटैलियन विधि से सुरक्षित हैं पांडुलिपियां
महंत परिवार के डॉ. वीएन मिश्रा ने बताया कि सारी पांडुलिपियों को डिजिटल फॉर्मेट में ऑनलाइन लाइब्रेरी की तरह बनाया जा रहा है। सारी पांडुलिपियों को इटैलियन विधि से पार्चमेंट पेपर में रखा गया है, जिससे सदियों तक वो खराब न हों। उन्होंने बताया कि 250 साल बाद भी प्राचीन 200 चित्रों का एल्बम है, जिसमें मानो पूरी रामायण समाहित है। इस एल्बम को भी डिजिटल किया जा रहा है।

विशंभर नाथ मिश्रा ने 600 रुपए में कबाड़ से खरीदी थी।

ये है उर्दू में लिखी दुर्लभ रामायण।


83) Smart City !!!


मसदर सिटी, अबू धाबी
अबू धाबी के पास बन रहा मसदर सपनों का शहर बनने की तरफ तेजी से कदम बढ़ा रहा है। यह एक ऐसा शहर होगा, जहां कार्बन उगलने वाली कार नहीं होगी, एक ऐसा शहर जो रेगिस्तान के बीच सूरज की तेज गर्मी से लड़ेगा। इस शहर में न तो कूड़ा होगा और न ही किसी तरह का धुआं। यहां बिना ड्राइवर की गाड़ियों में सैर की जा सकेगी। शहर में ऊर्जा सिर्फ रिन्यूएबल एनर्जी से ली जाएगी और इसके लिए 54 एकड़ में 88 हजार सोलर पैनल लगाए गए हैं। शहर में पहले चरण का काम पूरा हो गया है। 2015 के अंत तक यहां 7 हजार लोगों के लिए घर तैयार हो जाएंगे।
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मेडलिन 
कोलंबिया का यह शहर मेडलिन कभी दुनिया में सबसे ज्यादा आपराधिक वारदातों वाला शहर हुआ करता था। लेकिन आज यह अपनी अनूठी व्यवस्था के कारण जाना जाता है। यहां के निवासी इधर से उधर आने-जाने के लिए रोप-वे का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा जगह-जगह विशाल एस्केलेटर्स लगाए गए हैं। इससे पहले जहां आने-जाने में घंटों लग जाते थे, अब वहां मिनटों में काम हो जाता है।


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वैंकूवर
कनाडा के वैंकूवर शहर को वर्ष 2020 तक दुनिया का ग्रीनेस्ट सिटी बनाने का लक्ष्य है। यह शहर ऊर्जा रिन्युएबल एनर्जी का इस्तेमाल करता है। यहां करीब 75 फीसदी बिजली की सप्लाई रिन्युएबल एनर्जी के जरिए की जाती है। शहर ने अपनी पानी की जरूरत को 20 फीसदी तक घटा लिया है। इसके अलावा 41 फीसदी लोग या तो पैदल चलते हैं या फिर साइकिल पर।

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रियो डी जेनेरियो
ब्राजील का सबसे बड़ा शहर रियो में मौसम की भविष्यवाणी का ऐसा सिस्टम लागू किया गया है कि वहां एक-एक किलोमीटर के फासले पर अगर मौसम बदलता है तो नागरिकों को उनके स्मार्ट फोन पर जानकारी मिल जाती है। साथ ही स्थानीय अधिकारी भी सचेत हो जाते हैं कि कहां बारिश हो सकती है। इस तरह का वेदर प्रेडिक्शन सिस्टम अपनाने वाला दुनिया का पहला शहर है।
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लंदन
ईस्ट लंदन के एक डेटा सेंटर से प्रोजेक्ट टेलीहाउस की शुरुआत की गई है। इसके तहत वेस्ट को रीसाइकिल करके ऊष्मा उत्पन्न की जाती है, जिसका फायदा आसपास के लगभग 90 हजार घरों को मिलता है। टेलीहाउस बिल्डिंग के कूलिंग सिस्टम के जरिए इस ऊष्मा को एक्सपोर्ट किया जाता है, जिसका उपयोग लोग पानी गर्म करने या हीटिंग से जुड़े अन्य कार्यों के लिए कर सकते हैं।

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कोपेनहेगन
यूरोपीय देश डेनमार्क की कोपेनहेगन सिटी दुनिया की सबसे अधिक साइकिल फ्रेंडली सिटी है। यहां की कुल आबादी करीब छह लाख है, जिसमें से एक तिहाई लोगों के परिवहन का मुख्य साधन साइकिल है। यहां साइकिल को बढ़ावा देने के लिए खास रास्ते बनाए गए हैं। इन्हें ग्रीन-वे कहा जाता है। परिवहन के अन्य साधनों के लिए यहां अलग रोड हैं। यहां 10 मील का पहला साइकिल हाइवे भी बन रहा है। गौरतलब है कि पूरे डेनमार्क में साइकिल रूट्स का नेटवर्क करीब 7000 किमी में फैला हुआ है।