Saturday 21 November 2015

90).किसी वक्‍़त 'बुद्धू बक्सा' कहा जाता था और अब स्मार्ट हो गया टीवी. 69 साल में उसकी काया बदल गई.


89).25 Years Ago India Mounted World's Largest Air Evacuation In Kuwait, Airlift Is Its Story

it is a heroic story of a man Ranjit Katyal , a wealthy and powerful Indian businessman who had always seen himself as a Kuwaiti and not Indian, but who with the help of the Indian government, safely evacuated these 170,000 Indians back to their country.
People today might crib and complain about Air India and their frequent delays, but very few know that when thousands of Indians were stuck in Kuwait during the Gulf war, the Indian government executed the world’s largest air evacuation mission ever. This operation continued for almost sixty days and managed to AIRLIFT (Yes, that's how the film got its name) over 1,70,000 Indians.
Here is a proper timeline of events that unfolded and led to a successful 'operation homecoming mission'
1. Saddam Hussein's Iraq in 1990 was in debt of the US because of the long-drawn Iran conflict that it had undertaken.
saddam

2. Iraq wanted Kuwait to reduce oil production, to create a scarcity of oil leading to increasing oil prices, thereby helping Iraq raise more money. But Kuwait refused, leaving Iraq furious. On August 2nd 1990, Saddam Hussein invaded Kuwait (part of the first Gulf War).
Saddam


Gulfnews


3. The Iraqi army took over the city within a few hours. The Kuwaiti royal family managed to escape to Saudi Arabia, leaving the state rudderless. The city was looted and the general population subjugated and made to suffer great tragedies in the hands of the Iraqi army.
Iraq Invasion


4. Kuwait was home to almost 170,000 Indians, all of who had suddenly become bankrupt and homeless.
Homeless

Stevestarr5. It was in 1990 that the Indian government airlifted over 1,70,000 Indians from Kuwait, using 488 flights in just 59 days.Evacuation

Qz6. After this mission was successful, Air India entered the Guinness Book of World Records for being a civil airline that helped evacuate the maximum number of people ever!
Air India

IndianexpressBeing the largest and most successful evacuation ever attempted by any country in the world.

88). मूंगफली खाने का अपना ही मजा है

इसमें लगभग वो सारे तत्व पाए जाते हैं जो बादाम में होते हैं लेकिन बेहद सस्ती कीमत पर। मूंगफली में सेहत का खजाना छिपा हुआ होता है। इसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम और जिंक पाया जाता है। अगर आप किसी भी कारण से दूध नहीं पी पाते हैं, तो यकीन मानिए कि मूंगफली का सेवन इसका एक बेहतर विकल्प है। यह शारीरिक वृद्धि में भी सहायक है। 

रोज मूंगफली खाने के कई ऐसे फायदे होते हैं, जो खाने वालों को भी नहीं पता होते हैं। ऐसे में अनजाने में ही कुछ ऐसे हेल्दी फायदे मिलने लगते हैं। मूंगफली  बढती उम्र, रंग में फीकापन जैसी समस्याओं से लड़ने के साथ साथ त्वचा में नमी बनाए रखती है।

1. पेट की समस्याओं से राहत 


मूंगफली में कुछ ऐसे तत्व मौजूद होते हैं, जो पेट से जुड़ी कई समस्याओं में राहत देने का काम करते हैं। इसके नियमित सेवन से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है। यह पाचन क्रिया को भी बेहतर रखने में मददगार है साथ ही इसके सेवन से गैस व एसिडिटी की समस्या से तो राहत मिलती ही है, पेट के कैंसर की संभावना भी कम हो जाती है।

2. फेफड़े बनाए मजबूत
आपने अकसर सुना होगा कि ज्यादा मूंगफली खाने से गला खराब हो जाता है लेकिन सच तो यह है मूंगफली खांसी रोकने में भी उपयोगी है। इसके नियमित सेवन से फेफड़ो को मजबूती मिलती है। पाचन शक्ति को बढ़ाती है और भूख न लगने की समस्या भी दूर होती है।

3.ताकत बढाए
 
मूंगफली में प्रोटीन भी अच्छी मात्रा में होता है जिससे ताकत मिलती है, जो शरीर के विकास के लिए बहुत जरूरी है। ऐसे में न सिर्फ बच्चों को मूंगफली खिलाना  फायदेमंद है, बल्कि बॉडी बिल्डिंग के शौकीन युवाओं लिए भी यह लाभकारी है।

4. गर्भवती महिलाओं के लिए


गर्भवती महिलाओं के लिए मूंगफली खाना बहुत हितकारी है, , इससे गर्भ में पल रहे बच्चे का विकास बेहतर तरीके से होता है।

5. त्वचा बनाएं कोमल

कई लोग मूंगफली के पेस्ट का इस्तेमाल फेसपैक के तौर पर भी करते हैं। मूंगफली में मौजूद ओमेगा 6  त्वचा को भी कोमल और नम बनाए रखता है। 

6. दिल को रखे स्ट्रांग


मूंगफली कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाती है।  सप्ताह में पांच दिन मूंगफली के कुछ दाने खाने से दिल की बीमारियां होने का खतरा कम रहता है। 

7. खून बनाने में सहायक


मूंगफली में भरपूर मात्रा आयरन पाया जाता है, जो खून बनाने में सहायक है। इसके नियमित सेवन से खून की कमी नहीं होने पाती है और ब्लड में शुगर का स्तर नियंत्रण में रहता है।

8. स्किन को बनाए जवां

बढ़ती उम्र के लक्षणों को रोकने के लिए भी मूंगफली का सेवन किया जाता है। इसमें प्रोटीन, वसा, फाइबर, खनिज, विटामिन और एंटीआक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसलिए इसके सेवन से स्किन जवां दिखाई देती है।

9. हड्डियां बनाए मजबूत

मूंगफली में पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम और विटामिन डी पाए जाते हैं। इसके सेवन से हड्डियां मजबूत बनती हैं। 

10 . हार्मोन्स

माना जाता है कि रोजाना थोड़ी मात्रा में मूंगफली खाने से महिलाओं और पुरुषों में हार्मोन्स का संतुलन बना रहता है।

11. स्किन प्रोब्लेम्स रखे दूर

मूंगफली के आश्चर्यजनक गुणों में क्रोनिक त्वचा संबंधी बीमारियां जैसे एग्जीमा और सोराइसिस का भी इलाज संभव है। इसमें पाए जाने वाले फेटी एसिड से सूजन और त्वचा में होने वाला लालपन भी कम हो जाता है। 

12. अवसाद से दिलाए निजात

मूंगफली में अमीनो एसिड मौजूद होता है, जो लोग अवसाद में होते हैं उनके लिए मूंगफली का सेवन बहुत फायदेमंद है।

Friday 6 November 2015

87) मिल गया कैंसर का इलाज!

कैंसर यूं तो सबसे घातक रोगों में से एक माना जाता है और उसमें अग्नाशय (पैंक्रियाटिक) कैंसर को तो पूरी दुनिया में सबसे खतरनाक कैंसरों में एक माना जाता है क्योंकि अब तक इसका शल्य चिकित्सा (सर्जरी) से इलाज संभव नहीं था। आमतौर पर अग्नाशय कैंसर का पता 50 वर्ष की उम्र के बाद ही चल पाता है और तब तक कैंसर इतना फैल चुका होता है कि ट्यूमर को निकालना मुश्किल हो जाता है। हाल ही में अमेरिका के न्यू मेक्सिको विश्वविद्यालय के समेकित कैंसर केंद्र में एक ऐसी सर्जरी का परीक्षण किया गया है जिसकी मदद से अग्नाशय के ट्यूमर को निकाला जाना संभव हो सकेगा । इससे इस जानलेवा बीमारी के पीडितों को बड़ी मदद  मिलेगी।
 
विश्वविद्यालय के समेकित कैसर केन्द्र के प्रबंध निदेशक इत्जाक नीर के मुताबिक अग्नाशय कैंसर के ट्यूमर को सर्जरी के जरिये बाहर निकालना ही पीडित को बचाने का एक मात्र तरीका है। डा. नीर जिगर, अग्न्याशय और पाचन तंत्र से सम्बंधित अन्य अंगों के कैंसर के विशेषज्ञ है। उन्होंने कहा कि सिर्फ 20 प्रतिशत मरीजों की ही सर्जरी संभव हो पाती है जोकि इस कैंसर से पीडित व्यक्ति को बचने का एक मात्र उपाय है। सर्जरी नहीं कराने वाले पांच प्रतिशत से कम ही लोग पांच साल या उससे अधिक जीवित रह पाते है। 

Thursday 5 November 2015

86).युवा सत्याग्रही गुलाबसिंह का बलिदान

चित्तरंजन दास (जन्म- 5 नवंबर, 1870 - मृत्यु- 16 जून, 1925) एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिनका जीवन 'भारतीय स्‍वतंत्रता आंदोलन' में युगांतकारी था। चित्तरंजन दास को प्‍यार से 'देशबंधु' (देश के मित्र) कहा जाता था। ये महान राष्ट्रवादी तथा प्रसिद्ध विधि-शास्त्री थे। चित्तरंजन दास 'अलीपुर षड़यंत्र काण्ड' (1908 ई.) के अभियुक्त अरविन्द घोष के बचाव के लिए बचाव पक्ष के वकील थे। 'असहयोग आंदोलन' के अवसर पर इन्होंने अपनी वकालत छोड़ दी थी। 1921 ई. में अहमदाबाद में हुए कांग्रेस के अधिवेशन के ये अध्यक्ष थे। ये 'स्वराज्य पार्टी' के संस्थापक थे। इन्होंने 1923 में लाहौर तथा 1924 में अहमदाबाद में 'अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस' की अध्यक्षता भी की थी। 5 नवम्बर/बलिदान-दिवस युवा सत्याग्रही गुलाबसिंह का बलिदान मध्य प्रदेश का एक बड़ा भाग परम्परा से महाकौशल कहा जाता है। इसका सबसे बड़ा एवं सांस्कृतिक रूप से समृद्ध नगर जबलपुर है। नर्मदा के तट पर बसा यह नगर जाबालि ऋषि के तप की गाथा कहता है। इसका प्राचीन नाम जाबालिपुरम् था, जो कालान्तर में जबलपुर हो गया। भोपाल को मध्य प्रदेश की राजधानी तथा जबलपुर को संस्कारधानी कहलाने का गौरव प्राप्त है। आचार्य विनोबा भावे ने जबलपुर को यह नाम दिया था। जबलपुर के निकट ही त्रिपुरी (वर्तमान तेवर) नामक नगर है। यहीं के क्रूर राक्षस त्रिपुर का वध करने से भगवान शिव त्रिपुरारी कहलाए। यहां पर ही 1939 में कांग्रेस का ऐतिहासिक त्रिपुरी अधिवेशन हुआ था। इसमें नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने गांधी जी द्वारा मैदान में उतारे गये प्रत्याशी पट्टाभि सीतारमैया को कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव में हरा कर हलचल मचा दी थी। इसी जबलपुर नगर में 1928 में श्री लक्ष्मण सिंह के घर में एक तेजस्वी बालक का जन्म हुआ। माता-पिता ने उसके गुलाब के समान खिले मुख को देखकर उसका नाम गुलाब सिंह रख दिया। सब परिजनों को आशा थी कि यह बालक उनके परिवार की यश-सुगंध सब ओर फैलाएगा; पर उस बालक के भाग्य में विधाता ने देशप्रेम की सुगंध के विस्तार का कार्य लिख दिया था। 1939 के त्रिपुरी अधिवेशन के समय गुलाबसिंह की अवस्था केवल 11 वर्ष की थी; पर उन दिनों सब ओर सुभाष चंद्र बोस के व्यक्तित्व की चर्चा से उसके मन पर सुभाष बाबू की आदर्श छवि अंकित हो गयी। इससे प्रेरित होकर उसने अपने पिताजी से कहकर एक खाकी वेशभूषा सिलवाई। इसे पहनकर वह अपने समवयस्क मित्रों के साथ प्रायः नगर की गलियों में भारत माता की जय और वन्दे मातरम् के नारे लगाता रहता था। 1942 में जब पूरे देश में गांधी जी के आह्नान पर ‘अंग्रेजो भारत छोड़ो’ आंदोलन का नारा गूंजा, तो उसकी आग से महाकौशल एवं जबलपुर भी जल उठे। चार दिसम्बर, 1942 को जबलपुर में एक विशाल जुलूस निकला। यह जुलूस घंटाघर से प्रारम्भ होकर नगर की ओर बढ़ने लगा। गुलाबसिंह उस समय केवल कक्षा सात का छात्र था। उसकी लम्बाई भी कम ही थी; पर उसके उत्साह में कोई कमी नहीं थी। उसने हर बार की तरह अपनी खाकी वेशभूषा पहनी और तिरंगा झंडा लेकर जुलूस में सबसे आगे पहुंच गया। इस वेश में वह एक वीर सैनिक जैसा ही लग रहा था। कुछ दूर आगे बढ़ने पर पुलिस ने जुलूस का रोककर सबको बिखर जाने को कहा। कुछ ढीले मन वाले पीछे हटने पर विचार करने लगे; पर गुलाबसिंह ने अपने हाथ के तिरंगे को ऊंचा उठाया और नारे लगाते हुए तेजी से आगे बढ़ चला। उसका यह साहस देखकर बाकी लोग भी जोश में आ गये। पर इससे पुलिस बौखला गयी। पुलिस कप्तान के आदेश पर अचानक वहां गोली चलने लगी। पहली गोली सबसे आगे चल रहे गुलाबसिंह के सीने और पेट में लगी। वह वन्दे मातरम् कहता हुआ धरती पर गिर पड़ा। साथ चल रहे अन्य आंदोलनकारियों ने उसे तुरन्त अस्पताल पहुंचाया, जहां अगले दिन पांच नवम्बर, 1942 को उसने प्राण छोड़ दिये। इस प्रकार केवल 14 वर्ष की अल्पायु में ही वह मातृभूमि के ऋण से उऋण हो गया। (संदर्भ : स्वतंत्रता सेनानी सचित्र कोश/क्रांतिकारी कोश)