गर्मी के मौसम में शरीर को तरावट और ताजगी देनेवाला तरबूज भी अब सेहत के लिए सुरक्षित नहीं रहा। सड़क किनारे और हाटों में बिकने वाले तरबूज को ताजा बनाए रखने के लिए व्यापारी उसमें केमिकल, रंग और चीनी या सेक्रीन का घोल इंजेक्ट कर रहे हैं। दूसरे प्रदेशों से आने वाले तरबूज की खेप को व्यापारी अपनी जरूरत के हिसाब से मंगवाकर स्टॉक कर लेते हैं। उनकी छंटनी कर शहर के प्रमुख चौक-चौराहों पर अस्थायी तंबू लगाकर बिक्री की जाती है।
बाजार में बिकने वाले तरबूज में अगर केमिकल युक्त रंग और चीनी-साइक्रीन के घोल को इंजेक्ट किया जा रहा है, तो यह सेहत के लिए काफी नुकसानदेह है। ऐसे तरबूज को खाने से पेट की बीमारी, खाना पचाने की ताकत में कमी, लीवर का कमजोर होना, पेशाब की थैली में कैंसर होने की आशंका रहती है।
यूरीन ब्लाडर के कैंसर का खतरा
बाजार में बिकने वाले तरबूज में अगर केमिकल युक्त रंग और चीनी-साइक्रीन के घोल को इंजेक्ट किया जा रहा है, तो यह सेहत के लिए काफी नुकसानदेह है। ऐसे तरबूज को खाने से पेट की बीमारी, खाना पचाने की ताकत में कमी, लीवर का कमजोर होना, पेशाब की थैली में कैंसर होने की आशंका रहती है।
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