Thursday, 7 November 2019

Friday, 22 December 2017

#YOU_1

I have not many words for write here, but some words having own Dictionary.
Choice is yours which Dictionary you will chose... 

Thursday, 22 December 2016

THANK YOU .....

To: my all viewers,



                   Subject: About you & me.



              My all lovely viewers, i want to say to you sorry for not putting any kind of  update. but, that doesn't mean this is end. always remember that "END LINE IS BEGINNING OF NEW RACE" .
yes, my friend and me are so busy that's why after long time i am put post.

               I just want to tell you THANK YOU my INDIAN , RUSSIAN, UNITED STATE OF AMERICA, UNITED ARAB AND EMIRATES, FRANCE , SAUDI ARABIA , GERMANY ,UKRAINE , INDONESIA , KUWAIT , BRAZIL , MALAYSIA , NETHERLANDS , CANADA, ETC & MOST IMPORTANT SOME VIEWER WHO IS SEEN MY ALL POST BUT HIDING THEY COUNTRY.

             I know, I'm sure all of you are waiting my new post and update, sorry for last 6 month. I want to talk to all of you. then i decided this year to do something new. this time and year TGI really work for your interest in India and us, and my 1st priority is to give you a lot of knowledge and facts about INDIA. (but dont ask me about "big bang" tv show (only for my out of indian friend), because i don't know).

              This time, i want you to step ahead and ask me  about any kind of review , facts, news and anything related to our blog subjected or related to India. my friend and me are here for  giving you answer to your question. but rules are

1) We will give you our point of view that doesn't mean we are supporting such a thing, person or anything else and we are attached to them.

2) We are not promising you to giving your answer, because i know some of you will ask me wrong* question.

3) We are publish your question/s and my answer/s in this blog.

4) You can send us your question/s on below email id.

5) Also If you need some personal advise then you can ask us.

6) We don't like any kind of bad question/s and abusing question/s. so, please don't ask us that kind of question/s.

7) Most important rule is to remember all 6 above rule and we are humans and we have also mind. then don't try to show yourself as moron.


             We are always posting about Indian facts. This year we planning to give you more fact, more information and exiting things you should know. so, This year your question/s and my answer/s will be post here and i want you to spread my blog information with your friends, to get us more and more subscribers and viewers who all can know these amazing things and contents.  

            THANKS FOR READING MY POST AND BLOG.
so what are you waiting for, now send me your problems, question and review. we are waiting,

Email id.: thinkergroup2596@gmail.com


                                   From: THE THINKER GROUP OF INDIA


Wednesday, 20 July 2016

94). They are wrong brother

विमान के आविष्कारक- पण्डित शिवकर बापूजी तलपदे......

राइट्स बंधु को हवाई जहाज के आविष्कार के लिए श्रेय दिया जाता है क्योंकि उन्होंने 17 दिसम्बर 1903 हवाई जहाज उड़ाने का प्रदर्शन किया था। किन्तु बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी है कि उससे लगभग 8 वर्ष पहले सन् 1895 में संस्कृत के प्रकाण्ड पण्डित शिवकर बापूजी तलपदे नेमारुतसखाया

मारुतशक्तिनामक विमान का सफलतापूर्वक निर्माण कर लिया था जो कि पूर्णतः वैदिक तकनीकी पर आधारित था। पुणे केसरी नामक समाचारपत्र के अनुसार श्री तलपदे ने सन् 1895 में एक दिन (दुर्भाग्य से से सही दिनांक की जानकारी नहीं है) बंबई वर्तमान (मुंबई) के चौपाटी समुद्रतट में उपस्थित कई जिज्ञासु व्यक्तियों , जिनमें भारतीय अनेक न्यायविद्/ राष्ट्रवादी सर्वसाधारण जन के साथ ही महादेव गोविंद रानाडे और बड़ौदा के महाराज सायाजी
राव गायकवाड़ जैसे विशिष्टजन सम्मिलित थे, के समक्ष अपने द्वारा निर्मितचालकविहीनविमानमारुतशक्तिके उड़ान का प्रदर्शन किया था। वहाँ उपस्थित समस्त जन यह देखकर आश्चर्यचकित रह गए कि टेक ऑफ करने के बादमारुतशक्तिआकाश में लगभग 1500 फुट की ऊँचाई पर चक्कर लगाने लगा था। कुछ देर आकाश में चक्कर लगाने के के पश्चात् वह विमान धरती पर गिर पड़ा था।

यहाँ पर यह बताना अनुचित नहीं होगा कि राइट बंधु ने जब पहली बार अपने हवाई जहाज को उड़ाया था तो वह आकाश में मात्र 120 फुट ऊँचाई तक ही जा पाया था जबकि श्री तलपदे का विमान 1500 फुट की ऊँचाई तक पहुँचा था। दुःख की बात तो यह है कि इस घटना के विषय में विश्व की समस्त प्रमुख वैज्ञानिको और वैज्ञानिक संस्थाओं/संगठनों पूरी पूरी जानकारी होने के बावजूद भी आधुनिक हवाई जहाज के प्रथम निर्माण का श्रेय राईट बंधुओं को दिया जाना बदस्तूर जारी है और हमारे देश की सरकार ने कभी भी इस विषय में आवश्यक संशोधन करने/ करवाने के लिए कहीं आवाज नहीं उठाई (हम सदा सन्तोषी और आत्ममुग्ध लोग जो है!) 

कहा तो यह भी जाता है कि संस्कृत के प्रकाण्ड पण्डित एवं वैज्ञानिक तलपदे जी की यह सफलता भारत के तत्कालीन ब्रिटिश शासकों को फूटी आँख भी नहीं सुहाई थी और उन्होंने बड़ोदा के महाराज श्री गायकवाड़, जो कि श्री तलपदे के प्रयोगों के लिए आर्थिक सहायता किया करते थे, पर दबाव डालकर श्री तलपदे के प्रयोगों को अवरोधित कर दिया था। महाराज गायकवाड़ की सहायता बन्द हो जाने पर अपने प्रयोगों को जारी रखने के लिए श्री तलपदे एक प्रकार से कर्ज में डूब गए। इसी बीच दुर्भाग्य से उनकी विदुषी पत्नी, जो कि उनके प्रयोगों में उनकी सहायक होने के साथ ही साथ उनकी प्रेरणा भी थीं, का देहावसान हो गया और अन्ततः सन् 1916 या 1917 में श्री तलपदे का भी स्वर्गवास हो गया। 

बताया जाता है कि श्री तलपदे के स्वर्गवास हो जाने के बाद उनके उत्तराधिकारियों ने कर्ज से मुक्ति प्राप्त करने के उद्देश्य सेमारुतशक्तिके अवशेष को उसकी तकनीक सहित किसी विदेशी संस्थान को बेच दिया था।


श्री तलपदे का जन्म सन् 1864 में हुआ था। बाल्यकाल से ही उन्हें संस्कृत ग्रंथों, विशेषतः महर्षि भरद्वाज रचितवैमानिक शास्त्र” (Aeronauti cal Science) में अत्यन्त रुचि
रही थी। वे संस्कृत के प्रकाण्ड पण्डित थे। पश्चिम के एक प्रख्यात भारतविद्
स्टीफन नैप (Stephen-K napp) श्री तलपदे के प्रयोगों को अत्यन्त महत्वपूर्ण मानते हैं। एक अन्य विद्वान श्री रत्नाकर महाजन ने श्री तलपदे के प्रयोगों पर आधारित एक पुस्तिका भी लिखी हैं।श्री तलपदे का संस्कृत अध्ययन अत्यन्त ही विस्तृत था और उनके विमान सम्बन्धित प्रयोगों के आधार निम्न ग्रंथ थेः


महर्षि भरद्वाज रचित् वृहत् वैमानिक शास्त्र
आचार्य नारायण मुन रचित विमानचन्द् रिका
महर्षि शौनिक रचित विमान यन्त्र
महर्षि गर्ग मुनि रचित यन्त्र कल्प
आचार्य वाचस्पति रचित विमान बिन्दु
महर्षि ढुण्डिराज रचित विमान ज्ञानार्क प्रकाशिका
हमारे प्राचीन ग्रंथ ज्ञान के अथाह सागर हैं किन्तु वे ग्रंथ अब लुप्तप्राय -से हो गए हैं। यदि कुछ रंथ कहीं उपलब्ध भी हैं तो उनका किसी प्रकार का उपयोग ही नहीं रह गया है क्योंकि हमारी दूषित शिक्षानीति हमें अपने स्वयं की भाषा एवं संस्कृति को हेय तथा पाश्चात्य भाषा एवं संस्कृति को श्रेष्ठ समझना ही सिखाती है।
दस्तावेज़ के साथ देखिये कैसे भारत ने विमान बनाया

http://www.youtube.com/watch?v=pkNYXLe7yvw&list=UUV3JIII4O5q0HkWMhynrITw&index=2